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लेवोशिए ( सन् 1743-1794)
लेवोशिए को आधुनिक रसायनशास्त्र की नींव डालनेवाला माना जाता है। किन्तु रसायनशास्त्र में उसका कार्य उसकी बहुमुखी प्रतिभा का एक अंश मात्र ही था। अपनी प्रखर बुद्धि से न केवल उसने रसायनशास्त्र की सेवा की, बल्कि शरीरशास्त्र, कृषिशास्त्र, और यन्त्रविज्ञान के क्षेत्र में भी उसने मौलिक खोजें की हैं। व्यापार, अर्थशास्त्र, शिक्षाशास्त्र और राजनीति के क्षेत्र में अपने समय में वह नेता रहा है। संसार के इतिहास में आपको लेवोशिए की तरह बहुत कम लोग मिलेंगे, जिन्होंने बहमुखी प्रतिभा से ज्ञान के विभिन्न अंगों की इतनी सेवा की हो। वैसे तो रसायनशास्त्र को उसकी देन ही विज्ञान के इतिहास में उसे अमर बनाने के लिए पर्याप्त है।
एन्टोनाय लाउरेन्ट लेवोशिए का जन्म पेरिस में 26 अगस्त, 1743 में हआ था। उसके पूर्वज गरीब परिस्थिति से ऊपर उठे थे। उसके पितामह घोड़ों की देखभाल करनेवाले के पुत्र थे, पिता फ्रांस की पालियामेण्ट में एडवोकेट थे।एन्टोनाय ने भी पिता के पदचिह्नों पर अपने-आपको कानून की शिक्षा के लिए तैयार किया। फिर भी विज्ञान में उसकी रुचि बनी रही।कानन की उपाधि प्राप्त कर लेने पर भी लेवोशिए माझारिन कालेज में खगोलशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, रसायन और भूगर्भशास्त्र का अध्ययन करता रहा।
उसी समय फ्रांस के प्रसिद्ध भूगर्भशास्त्री जे.ई. बेटार्ड के साथ देश का भूगीय एटलस तैयार करने का लेवोशिए को मौका मिला। इस काम के कारण ही सिर्फ 25 वर्ष की छोटी उम्र में लेबोशिए को फ्रांस की प्रसिद्ध विज्ञान-अकादमी ने अपना सदस्य चुन लिया।
वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में स्थिर हो जाने के बाद लेवोशिए ने अपनी माली हालत ठीक करने का फैसला किया। उसने 'फर्म जनराले' कम्पनी में हिस्सा खरीद लिया। यह कम्पनी राजा की ओर से कर वसूली का काम करती थी। इस कम्पनी में हिस्सा खरीदने के कारण लेबोशिए को आमदनी तो काफी हुई, किन्तु अन्त में यही हिस्सा उसकी मौत का कारण भी बना।
28 वर्ष की आयु में लेवोशिए ने चौदह-वर्षीय मेरी से विवाह कर लिया। लेवोशिए को लैटिन और अंग्रेजी का कम ज्ञान था। मेरी ने इन भाषाओं का अध्ययन कर लिया और अपने पति के लिए वह इन भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों एवं लेखों का अनुवाद करने लगी। उसने आयरिश रसायनशास्त्रज्ञ रिचार्ड किरविन की दो पुस्तकों का अनुवाद किया और जोजेफ प्रिस्टले, हेनरी केविन्डीश और अन्य समकालीन रसायनशास्त्रियों के निबन्धों का भी अपने पति के लिए अनुवाद किया। वह एक कुशल चित्रकार
भी थी। लेवोशिए की पुस्तकों के लिए उसी ने चित्र बनाये और प्रयोगशाला में भी वह अपने पति का हाथ बँटाती। लेवोशिए की मृत्यु के बाद उसने उसके अधूरे काम को सम्पादित करके प्रकाशित किया।
लेबोशिए के पहले, अरस्तू (अरिस्टोटल) की मान्यता के अनुसार, समस्त पदार्थ चार तत्त्वों-पृथ्वी, अग्नि, हवा और पानी से बने हए माने जाते थे। पदार्थ की एक 'आत्मा' मान्य थी जिसे 'फ्लोजिस्टन' कहा जाता था और इसे ही जलने की क्रिया का कारण माना जाता था। यदि कोई लकड़ी का टुकड़ा जलता था, तो वह केवल इसलिए कि लकड़ी में 'पलोजिस्टन' था और पत्थर का टुकड़ा इसलिए नहीं जलता कि उसमें 'पलोजिस्टन' नहीं है।अंग्रेज रसायनशास्त्री जोजेफ प्रिस्टले ने सन् 1774 में 'फ्लोजिस्टन रहित हवा' (ऑक्सीजन) का आविष्कार किया, लेकिन वह इस खोज का महत्त्व नहीं समझ सका था। लेवोशिए सन् 1772 में ही जलने की क्रिया का अध्ययन कर रहा था। उसने देखा कि सल्फर और फास्फोरस जलने के बाद तौल में बढ़ जाते हैं। लेबोशिए ने नसीजा निकाला कि प्रिस्टले की 'पलोजिस्टन-रहित वायु' ही इस अतिरिक्त भार का कारण है। उसने इसे 'ऑक्सीजन' का नाम दिया। इसी गैस को अपना लेने पर धातु ऑक्साइड्स में परिवर्तित हो जाती है। उसने यह सिद्ध कर दिखाया कि फ्लोजिस्टन का सिद्धान्त गलत है और जलने की क्रिया ऑक्सीजन के कारण ही सम्भवहै।
लेवोशिए ने आगे जाकर अपने प्रयोगों द्वारा यह भी सिद्ध कर दिखाया कि पानी वास्तव में दो तत्त्वों-हाइड्रोजन और ऑक्सीजन-के मेल से बना हुआ है। इस प्रकार उसने रसायनशास्त्र के अध्ययन को नया मोड़ दिया। इस नये रसायनशास्त्र को वैज्ञानिकों ने स्वीकार कर लिया। तत्त्वों की नयी तरह से खोज होने लगी। अब तक जिन पदार्थों को तत्त्व-रूप में स्वीकार किया जाता था वे अब मात्र योग से बने हुए सिद्ध हुए। वास्तविक रासायनिक तत्त्व थे-धातुएँ, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर और अन्य तत्त्व, जिनका कि रासायनिक विधियों से सरलीकरण सम्भव नहीं है।
लेकिन लेगोशिए का महत्त्व इस बात के लिए अधिक है कि उसने अपने 'ऑक्सीजन-ज्वलन-क्रिया-सिद्धान्त के आधार पर रसायनशास्त्र में अनेक नये तथ्यों का पता लगाकर उन्हें एकरूप किया। अन्य फ्रांसीसी वैज्ञानिकों की सहायता से उसने सही रसायन-शब्दावली का निर्माण किया। सन 1789 में उसने रसायनशास्त्र पर एक पुस्तक लिखी, जिसमें उस समय तक ज्ञात समस्त रासायनिक तथ्यों को शामिल करके उनका उल्लेख किया गया था।
विज्ञान-सम्बन्धी खोजों के अलावा लेबोशिए सरकार के लिए युद्ध सामग्री जुटाने में भी सहायक सिद्ध हुआ। बारूद की कमी को दूर करने में | उसका विशेष हाथ था। एक अंश तक हम कह सकते हैं कि अमरीका की।योग था, क्योंकि फांस से ही अमरीकी लेवोशिए की सलाह से ही सरकार राज्यक्रान्ति में लेवोशिए का विशेष सहयोग था, क्योंकि उपनिवेशवासियों को बारूद मिली थी। लेवोशिए की सलाह ने आर्सनल में बारूद बनाने के लिए एक कारखाना बनाया था।
आर्सेनल में ही लेबोशिए की जिन्दगी के दिन सुख में। फैक्टरी उसके लिए एक प्रकार की प्रयोगशाला ही थी। किन्तु दो दुर्घटनाएँ सिद्ध करती हैं कि सरकारी नौकरी में वैज्ञानिकों का खतरे में रहता है। एक बार अपनी पत्नी और तीन सहायकों के साथ लेवोशिए पोटेशियम क्लोरेट पर प्रयोग कर रहा था।प्रयोगशाला में भीषण विस्फोट हुआ और दो सहायकों की तत्काल मृत्यु हो गयी। लेबोशिए और उसकी पत्नी बाल-बाल बच गये।
दूसरी दुर्घटना सन् 1789 में हुई। यह उन दिनों की बात है जब क्रान्तिकारियों ने पैरिस पर अधिकार कर लिया था। अधिकारियों ने निर्णय किया कि 10,000 पौंड कम शक्तिवाली बारूद शहर के बाहर भेज दी जाये और उसके स्थान पर अच्छी बारूद बाहर से मंगायी जाये । इस बात से जनता में खलबली मच गयी। बारूद की इस अदला-बदली को षड्यन्त्र माना गया और लेवोशिए को कैद कर लिया गया। बारूद के पुनः आर्सेनल वापस आने पर ही शान्ति स्थापित हुई।
लेवोशिए के पास 370 एकड़ खेतिहर जमीन थी। वह नियमित रूप से प्रतिवर्ष कुछ समय अपने फार्म पर बिताता था। कृषक लेवोशिए जल्दी ही समझ गया कि उपज अधिकांशतः अच्छे खाद पर निर्भर करती है। खेती की उपज से सम्बन्धित उसने कई नयी बातों की जानकारी हासिल की। इसका परिणाम यह हुआ कि 14 वर्ष के भीतर ही उपज दुगुनी हो गयी।
लेवोशिए द्वारा लिखी हुई 'फ्रांस की जमीन और धन सम्पत्ति' पुस्तक अर्थशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। यह पुस्तक क्रान्ति के पहले लिखी गयी थी. किन्तु नेशनल एसेम्बली ने इसे इतना महत्त्वपूर्ण समझा कि सन् 1791 में उसने इसे प्रकाशित करवाया। लेबोशिए की मान्यता थी कि देश की खेती की उपज की जानकारी पर ही कर-योजना निर्धारित की जा सकती है। इसके लिए उसने अनेक तथ्य इकट्ठे किये । उपज और जनसंख्या सम्बन्धी उसके द्वारा इकट्ठे किये गये आंकड़े बहुत ही फायदेमन्द साबित हए। लेवोशिए ने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि वह एक ऐसी संस्था की स्थापना करे जो न केवल आर्थिक तथ्यों अपितु कृषिशास्त्र, उद्योग-धन्धे और जनसंख्या-सम्बन्धी तथ्यों को एकत्र कर सके।
जनता की शिक्षा के लिए लेबोशिए ने सरकार को नये सुझाव दिये। उसने इस बात पर जोर दिया कि लड़के और लड़कियों के लिए, बिना किसी भेद के, निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करना सरकार का प्रमुख कर्तव्य है।
फांस में यह क्रान्ति का युग था। दूसरे बुद्धिमान लोगों की तरह लेवोशिए ने भी क्रान्ति का स्वागत किया और स्वयं प्रजातन्त्र का पक्ष ग्रहण किया। किन्तु क्रान्ति ने जब भयंकर शासन का रूप धारण कर लिया तो उन व्यक्तियों, जिनका पहले राजा की सरकार से सम्बन्ध था, का जीवन खतरे में पड़ गया। कर वसूल करनेवाले अधिकारियों से विशेष घणा की जाती थी, क्योंकि उनमें से अधिकांश उच्च कूल से सम्बन्धित थे और बर्बर शोषक भी थे। हम पहले कह आये हैं कि लेवोशिए का भी कर वसूल करने वाली कम्पनी में हिस्सा था। यह बात सही है कि कृषि सम्बन्धी अनेक सुधार करके उसने अपने देश के किसानों की दशा सुधारने में सहायता दी थी। वह एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक भी था। अत: लेबोशिए ने इस नयी आँधी की कोई परवाह नहीं की।
किन्तु अन्त में लेवोशिए को भी दोषी ठहराया गया। उसे मृत्युदण्ड दिया गया। सम्पूर्ण यूरोप के प्रसिद्ध व्यक्तियों ने उसके जीवन की भीख माँगी, किन्तु स्वयं लेवोशिए ने न तो दया की भिक्षा माँगी, न देश से भागने का ही निश्चय किया। उसने शान्तिपूर्वक कहा-"मैंने अच्छा जीवन व्यतीत किया है। मैं मरने के लिए तैयार हूँ।"
एक दिन मई, 1794 में गुलेटिन से लेवोशिए का सिर काट दिया गया। उसकी मृत्यु के दूसरे दिन प्रसिद्ध गणितज्ञ लागरान्जे ने डेलाम्बर से कहा था-"उस सिर को काटने के लिए मात्र एक क्षण का ही समय लगा। सम्भवतः और एक सदी तक फ्रांस को ऐसी खोपड़ी फिर नहीं मिल पायेगी।"
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